सभी के लिए समान मेंटेनेंस: क्यों हाउसिंग सोसायटी में फ्लैट के आकार के आधार पर अलग शुल्क लेना गलत है
किसी भी हाउसिंग सोसायटी या अपार्टमेंट कॉम्प्लेक्स में सबसे ज्यादा चर्चा होने वाला विषय है — मेंटेनेंस चार्ज कैसे तय किया जाए?
क्या सभी लोग एक जैसा भुगतान करें या बड़े फ्लैट वालों को ज़्यादा देना चाहिए?
हाल ही में बॉम्बे हाई कोर्ट ने पुणे की मशहूर Treasure Park अपार्टमेंट सोसाइटी के मामले में एक महत्वपूर्ण निर्णय दिया। इस फैसले के बाद कई सोसायटियों में यह बहस शुरू हो गई कि क्या यह नियम सहकारी हाउसिंग सोसायटी पर भी लागू होगा?
यह लेख सरल भाषा में समझाता है—
कानून क्या कहता है,
अपार्टमेंट और सोसायटी में क्या अंतर है,
और क्यों सहकारी सोसायटी में सभी को समान मेंटेनेंस देना अनिवार्य है—भले ही फ्लैट का आकार कितना भी हो।
1. मेंटेनेंस चार्ज क्यों लिया जाता है?
हर सोसायटी में कुछ सामान्य सुविधाएँ होती हैं, जैसे—
-
लिफ्ट
-
सुरक्षा (Security)
-
पानी की आपूर्ति
-
सामान्य बिजली
-
गार्डन और ओपन एरिया
-
सफाई
-
इमारत की रोज़ाना देखभाल
इन सुविधाओं को ठीक से चलाने और बनाए रखने के लिए निवासियों से पैसे लिए जाते हैं। इसे ही Maintenance Charges कहा जाता है।
सरल शब्दों में:
मेंटेनेंस वह राशि है जो सभी मिलकर सोसायटी को सुचारु रूप से चलाने के लिए देते हैं।
लेकिन असली सवाल यह है—
क्या सभी लोग बराबर मेंटेनेंस दें या बड़े फ्लैट वाले अधिक दें?
2. हाई कोर्ट का फैसला किस बारे में था?
कुछ दिन पहले बॉम्बे हाई कोर्ट ने पुणे की Treasure Park अपार्टमेंट सोसाइटी (356 सदस्य) के मामले पर फैसला दिया।
न्यायालय ने कहा:
-
Maharashtra Apartment Ownership Act, 1970 के अनुसार,
-
हर अपार्टमेंट मालिक का “Undivided Share” अलग होता है,
-
यह शेयर फ्लैट के आकार और कीमत पर निर्भर करता है,
-
इसलिए अपार्टमेंट में मेंटेनेंस फ्लैट के आकार के हिसाब से लिया जा सकता है।
सरल भाषा में:
अपार्टमेंट ओनरशिप कानून के तहत बड़े फ्लैट वालों से ज़्यादा मेंटेनेंस लिया जा सकता है।
लेकिन इस फैसले के बाद कई सोसायटियों में भ्रम फैल गया।
लोग पूछने लगे—
-
“क्या अब हमारी सोसायटी भी क्षेत्रफल के हिसाब से मेंटेनेंस ले सकती है?”
-
“क्या हमें नियम बदलने होंगे?”
-
“क्या यह फैसला सोसायटी पर भी लागू है?”
3. यह फैसला सहकारी हाउसिंग सोसायटी पर लागू क्यों नहीं होता?
यह सबसे ज़रूरी बात है:
यह फैसला केवल अपार्टमेंट ओनरशिप कानून (1970) पर लागू है।
यह सहकारी हाउसिंग सोसायटी पर लागू नहीं होता।
क्योंकि दोनों पूरी तरह अलग कानूनी ढांचे (legal structures) पर आधारित हैं।
अपार्टमेंट और सोसायटी में कानूनी अंतर
| विषय | Apartment Ownership Act, 1970 | Co-operative Societies Act, 1960 |
|---|---|---|
| मालिकाना हक | व्यक्तिगत फ्लैट + हिस्सेदारी | पूरी इमारत व जमीन सोसायटी की |
| मेंटेनेंस | फ्लैट के आकार के आधार पर | सभी के लिए एक समान |
| वोटिंग | हिस्सेदारी/शेयर के अनुसार | प्रत्येक सदस्य = 1 वोट |
| नियम | अपार्टमेंट घोषणा पर आधारित | सोसायटी उपविधियों पर आधारित |
समस्या तब होती है जब लोग अनजाने में दोनों को एक जैसा समझ लेते हैं।
4. सहकारी हाउसिंग सोसायटी में मेंटेनेंस समान क्यों होना चाहिए?
Maharashtra Co-operative Societies Act, 1960
और
मॉडल उपविधियों (Model Bye-laws)
के अनुसार:
→ सभी सदस्यों से समान मेंटेनेंस लेना अनिवार्य है।
यह नियम नया नहीं है। यह लंबे समय से वैध है।
इसके पीछे सोच यह है:
-
लिफ्ट, सुरक्षा, सफाई आदि हर सदस्य बराबर उपयोग करता है।
-
इन सुविधाओं के खर्च का फ्लैट के आकार से कोई संबंध नहीं।
-
सहकारी सोसायटी समानता (Equality) के सिद्धांत पर चलती है।
-
बड़े फ्लैट वाले अधिक सेवा नहीं लेते।
-
समाज में बराबरी और एकता बनी रहती है।
इसलिए:
फ्लैट के क्षेत्रफल के आधार पर अलग मेंटेनेंस लेना कानूनन गलत है।
5. क्या कभी सोसायटी क्षेत्रफल के आधार पर शुल्क ले सकती है?
हाँ, लेकिन सीमित मामलों में।
मॉडल उपविधियों के अनुसार, नीचे दिए गए शुल्क क्षेत्रफल के आधार पर लिए जा सकते हैं—
-
सिंकिंग फंड योगदान
-
बड़े मरम्मत (major repairs) पर योगदान
-
बिल्डिंग पुनर्निर्माण के शुल्क
-
पार्किंग शुल्क (कुछ मामलों में)
लेकिन मासिक मेंटेनेंस — जैसे:
-
सुरक्षा
-
लिफ्ट
-
सामान्य बिजली
-
सफाई
-
गार्डन मेंटेनेंस
-
पानी
हर सदस्य से समान लिया जाएगा।
6. लोग क्यों भ्रमित होते हैं?
कई निवासी अपार्टमेंट में रहने के बावजूद उसे सोसायटी कहते हैं।
इससे गलतफहमी होती है।
सामान्य गलतियाँ:
-
यह मान लेना कि कोर्ट का फैसला सभी पर लागू है
-
अपार्टमेंट कानून और सोसायटी कानून को मिलाना
-
बड़े फ्लैट = अधिक मेंटेनेंस समझना
-
वोटिंग अधिकार और मेंटेनेंस के नियम गड़बड़ा देना
-
व्हॉट्सऐप ग्रुप की चर्चा को "कानून" मान लेना
सच्चाई यह है:
मेंटेनेंस नियम कानूनी रूप से तय होते हैं, न कि बहस या व्यक्तिगत राय से।
7. सोसायटी में समान मेंटेनेंस का महत्व
सहकारी सोसायटी की नींव इन सिद्धांतों पर है—
-
समानता
-
सहयोग
-
सामूहिक जिम्मेदारी
-
समान अधिकार
यदि बड़े फ्लैट से अधिक मेंटेनेंस लिया जाए तो—
-
सोसायटी में असमानता बढ़ेगी
-
बड़े फ्लैट वाले अधिक अधिकार की मांग कर सकते हैं
-
समुदाय में तनाव बढ़ेगा
-
छोटी-बड़ी लड़ाईयां बढ़ेंगी
-
एकता खत्म होगी
इसलिए कानून समान योगदान को अनिवार्य बनाता है।
8. हाई कोर्ट ने वास्तव में क्या कहा?
सरल समझ:
-
अपार्टमेंट में हर मालिक का "Undivided Share" अलग होता है।
-
यह शेयर फ्लैट की कीमत/क्षेत्रफल पर निर्भर करता है।
-
इसलिए मेंटेनेंस भी अनुपात में हो सकता है।
लेकिन सोसायटी में:
-
ऐसी कोई व्यवस्था नहीं
-
हर सदस्य बराबर
-
सभी का वोट समान
-
मेंटेनेंस बराबर
इसलिए फैसला सोसायटी पर लागू नहीं होता।
9. आपकी सोसायटी को अब क्या करना चाहिए?
✔ 1. पहले यह जानें कि आपकी इमारत क्या है
-
Co-operative Housing Society
या -
Apartment Ownership Association
यही तय करेगा कि नियम क्या हैं।
✔ 2. यदि यह Co-operative Society है
-
सभी से समान मेंटेनेंस लेना ही कानून है।
-
कोई बदलाव संभव नहीं।
✔ 3. यदि यह Apartment Association है
-
क्षेत्रफल के आधार पर मेंटेनेंस लिया जा सकता है।
✔ 4. व्हॉट्सऐप की बहसें बंद करें
कानून साफ है —
किस पर क्या लागू है, यह रजिस्ट्रेशन तय करता है।
✔ 5. उपविधियों का पालन करें
सभी नियम साफ-साफ लिखे होते हैं।
10. क्या सोसायटी चाहें तो नियम बदल सकती है?
नहीं।
मेंटेनेंस की पद्धति कानून में तय है।
सोसायटी वोटिंग से इसे बदल नहीं सकती।
11. क्या यह फैसला कभी सोसायटी पर लागू होगा?
नहीं।
जब तक सरकार Co-operative Societies Act में संशोधन नहीं करती (जो लगभग असंभव है), समान मेंटेनेंस का नियम सदैव लागू रहेगा।
12. विवाद करने से बेहतर है स्पष्टता
सोसायटी एक परिवार की तरह होती है।
फालतू विवाद मानसिक शांति बिगाड़ते हैं।
नियम बहुत सरल हैं:
सहकारी सोसायटी = समान मेंटेनेंस
अपार्टमेंट एसोसिएशन = क्षेत्रफल अनुसार मेंटेनेंस
जब यह फर्क समझ में आ जाए, तो 90% विवाद खुद खत्म हो जाते हैं।
निष्कर्ष
बॉम्बे हाई कोर्ट का हालिया फैसला केवल Apartment Ownership Act, 1970 पर आधारित है।
यह सहकारी हाउसिंग सोसायटी पर लागू नहीं होता।
Co-operative Societies के लिए:
-
मेंटेनेंस सभी का समान
-
फ्लैट का आकार मायने नहीं रखता
-
उपविधियां इसे अनिवार्य बनाती हैं
-
क्षेत्रफल के आधार पर मेंटेनेंस लेना अवैध है
इसलिए सदस्यों को अनावश्यक बहस, विवाद और भ्रम में पड़ने की आवश्यकता नहीं है।
कानून स्पष्ट है और सहकारी भावना को सुरक्षित रखता है।

Comments
Post a Comment