बीमा पॉलिसी पर लोन बनाम पर्सनल लोन: आपके लिए कौन सा बेहतर है और क्यों? पूरी सरल गाइड

जब अचानक पैसों की ज़रूरत पड़ती है, तो ज्यादातर लोग सबसे पहले पर्सनल लोन के बारे में सोचते हैं। यह आसानी से मिलता है, ज्यादातर बैंक और ऐप्स इसे ऑफर करते हैं, और कागज़ी काम भी कम होता है। लेकिन सुविधा के साथ एक बड़ी समस्या आती है—महंगा ब्याज

दूसरी ओर, भारत में ज्यादातर लोगों के पास पहले से ही लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी होती है, खासकर LIC की पारंपरिक योजनाएँ। ऐसी पॉलिसियों में वर्षों बाद अच्छी सरेण्डर वैल्यू बन जाती है, जिसके बदले आप कम ब्याज पर लोन ले सकते हैं।

अब सवाल यह है कि कौन सा विकल्प आपके लिए बेहतर है—पर्सनल लोन या बीमा पॉलिसी पर लोन?
इस विस्तृत लेख में हम सरल भाषा में दोनों के फायदे, नुकसान, ब्याज दरें, जोखिम, टैक्स नियम और विशेषज्ञों की राय समझेंगे ताकि आप सही फैसला ले सकें।


1. दोनों लोन क्या होते हैं?

(A) पर्सनल लोन

पर्सनल लोन एक अनसिक्योर्ड लोन होता है—यानी इसके लिए आपको कोई भी जमानत नहीं देनी पड़ती। बैंक आपके:

  • क्रेडिट स्कोर

  • आय

  • नौकरी की स्थिरता

  • और पिछला लोन इतिहास

को देखकर लोन मंजूर करते हैं।

हालाँकि यह आसानी से मिलता है, लेकिन इसकी समस्या है:

  • ब्याज दरें बहुत ज़्यादा (12%–18% या उससे भी ज्यादा)

  • सख्त योग्यता नियम

  • EMI मिस होने पर भारी पेनल्टी

  • क्रेडिट स्कोर पर बड़ा असर

(B) बीमा पॉलिसी पर लोन

इसमें आपका लाइफ इंश्योरेंस ही जमानत बन जाता है। इंश्योरर आपको आपकी सरेण्डर वैल्यू के आधार पर लोन देता है। यह एक सिक्योर्ड लोन होता है।

इसकी मुख्य खूबियाँ हैं:

  • बहुत कम ब्याज (8–10%)

  • कागज़ी काम बेहद कम

  • CIBIL स्कोर की जरूरत नहीं

  • EMI मिस होने पर भी CIBIL पर असर नहीं (यदि लोन सीधे बीमा कंपनी से लिया हो)

  • जल्दी पैसे मिल जाते हैं

इसलिए यह विकल्प कई बार पर्सनल लोन से कहीं बेहतर साबित होता है।


2. पर्सनल लोन क्यों लोकप्रिय हैं—लेकिन महंगे भी

लोग अक्सर पर्सनल लोन इसलिए लेते हैं क्योंकि:

आसानी से उपलब्ध

हर बैंक और NBFC इन्हें ऑफर करते हैं। मोबाइल ऐप्स तो इसे मिनटों में दे देते हैं।

कोई जमानत नहीं

अगर आप चूक जाते हैं तो आपकी किसी संपत्ति पर कब्ज़ा नहीं किया जाता।

तुरंत मंजूरी

अच्छी नौकरी और मजबूत CIBIL हो तो तुरंत लोन मिल जाता है।

फिक्स्ड EMI

हर महीने तय किस्त—यानी बजट बनाना आसान।

लेकिन इन फायदों के साथ उच्च ब्याज दरें और कठोर नियम भी जुड़े होते हैं, जिससे यह महंगा सौदा साबित हो सकता है।


3. बीमा पॉलिसी पर लोन क्यों बेहतर विकल्प बन रहा है

बीमा कंपनियाँ, खासकर LIC, अपने पॉलिसीधारकों को बहुत सुविधाजनक लोन प्रदान करती हैं।

कम ब्याज दर

जहाँ पर्सनल लोन पर 15–18% ब्याज लगता है, वहीं बीमा पॉलिसी पर लोन सिर्फ 8–10% में मिल जाता है।

कागज़ी काम बहुत कम

पॉलिसी पहले से जारी है, KYC भी पूरा है—बस आवेदन कीजिए और पैसा मिल जाता है।

CIBIL की जरूरत नहीं

लोन पॉलिसी की वैल्यू पर मिलता है, आपकी क्रेडिट रिपोर्ट नहीं देखी जाती।

डिफॉल्ट करने पर भी CIBIL पर असर नहीं

Ronak Morjaria के अनुसार:

“EMI मिस होने पर भी CIBIL खराब नहीं होता, क्योंकि बकाया राशि पॉलिसी की मैच्योरिटी से एडजस्ट हो जाती है।”

बहुत जल्दी पैसा मिलता है

अक्सर 24–48 घंटे में लोन मिल जाता है।

टैक्स लाभ जारी रहते हैं

पॉलिसी चलती रहती है, इसलिए 80C जैसे टैक्स लाभ प्रभावित नहीं होते।


4. विशेषज्ञों की राय

Abhishek Soni (Tax2win) का कहना है:

“अगर आपकी पॉलिसी की सरेण्डर वैल्यू अच्छी है, तो बीमा पॉलिसी पर लोन बेहतर विकल्प होता है—कम ब्याज, कम पेपरवर्क और लोन पर टैक्स नहीं लगता।”

लेकिन वे चेतावनी देते हैं:

“यदि आप लोन नहीं चुकाते और पॉलिसी लैप्स हो जाती है, तो आपकी मैच्योरिटी घट सकती है और टैक्स लग सकता है।”

Ronak Morjaria (ValueCurve Financial Services) कहते हैं:

“बीमा पॉलिसी पर लोन में सभी ग्राहकों के लिए ब्याज समान होता है—CIBIL स्कोर का कोई फर्क नहीं पड़ता।”
“डिफॉल्ट होने पर CIBIL पर असर नहीं पड़ता, बकाया रकम मैच्योरिटी से कट जाती है।”

इन सलाहों से स्पष्ट है कि यदि आपके पास एक मजबूत पॉलिसी है, तो बीमा पॉलिसी पर लोन अधिक किफायती और सुरक्षित विकल्प है।


5. तुलना: बीमा पॉलिसी पर लोन vs पर्सनल लोन

तुलना बिंदु बीमा पॉलिसी पर लोन पर्सनल लोन
ब्याज दर बेहद कम (8–10%) अधिक (12–18%)
CIBIL स्कोर जरूरत नहीं हाँ
लोन राशि सरेण्डर वैल्यू के आधार पर आपकी आय के आधार पर
मंजूरी समय तेज तेज
कागज़ी काम बहुत कम मध्यम
EMI मिस का असर CIBIL पर नहीं CIBIL पर भारी असर
जोखिम पॉलिसी लाभ कम हो सकते हैं कोई संपत्ति जोखिम में नहीं
टैक्स प्रभाव लोन टैक्स-फ्री टैक्स नहीं, लेकिन कोई कटौती नहीं
लचीलापन अधिक कम

6. कब बीमा पॉलिसी पर लोन लेना बेहतर है?

नीचे दिए हालात में यह विकल्प सबसे अच्छा है:

✔ आपके पास LIC या अन्य पारंपरिक योजना हो

✔ आप कम ब्याज में पैसा चाहते हों

✔ आप CIBIL खराब होने का जोखिम नहीं लेना चाहते

✔ आप लचीले भुगतान चाहते हों

✔ आपको थोड़े समय के लिए पैसे चाहिए हों


7. कब पर्सनल लोन लेना चाहिए?

इन परिस्थितियों में पर्सनल लोन बेहतर विकल्प है:

✔ आपको बड़ी रकम चाहिए

यदि आपकी पॉलिसी की सरेण्डर वैल्यू कम है, तो जरूरत पूरी नहीं होगी।

✔ आप फिक्स्ड EMI चाहते हैं

✔ आपके पास ऐसी पॉलिसी नहीं है जिसमें सरेण्डर वैल्यू बनती हो

(जैसे टर्म इंश्योरेंस)

✔ आप अपनी इंश्योरेंस पॉलिसी को बिल्कुल छूना नहीं चाहते


8. पॉलिसी पर कितना लोन मिल सकता है?

ज़्यादातर कंपनियाँ सरेण्डर वैल्यू का 80%–90% तक लोन देती हैं।

उदाहरण:

  • सरेण्डर वैल्यू = ₹2,00,000

  • लोन राशि = ₹1,60,000 से ₹1,80,000

अगर आपकी जरूरत इससे ज्यादा है, तो पर्सनल लोन पर विचार करना पड़ सकता है।


9. बीमा पॉलिसी पर लोन के जोखिम

किसी भी वित्तीय उत्पाद की तरह इसमें भी कुछ जोखिम होते हैं:

1. मैच्योरिटी राशि कम हो सकती है

2. पॉलिसी लैप्स हो सकती है

यदि बकाया लोन सरेण्डर वैल्यू से ज्यादा हो जाए।

3. टैक्स लग सकता है

यदि पॉलिसी लोन के दौरान ही सरेंडर करनी पड़े।

4. लोन राशि सीमित होती है


10. पर्सनल लोन के जोखिम

1. EMI मिस होने पर CIBIL खराब

2. ब्याज दरें बहुत ज्यादा

3. पेनल्टी चार्जेज भारी

4. रेगुलर इनकम प्रूफ नहीं हो तो लोन रिजेक्ट


11. कौन सा विकल्प ज्यादा बचत कराता है?

मान लीजिए आपको ₹1,00,000 की जरूरत है:

कारक बीमा पॉलिसी पर लोन पर्सनल लोन
ब्याज 9% 15%
समय 2 वर्ष 2 वर्ष
कुल ब्याज भुगतान ~₹9,450 ~₹16,700

यानी आप करीब ₹7,000 बचा सकते हैं।

राशि बढ़े तो बचत और बढ़ जाती है।


12. टैक्स पर इसका क्या असर होता है?

बीमा पॉलिसी पर लोन

  • लोन टैक्स-फ्री होता है

  • पॉलिसी के टैक्स लाभ जारी रहते हैं

  • लेकिन पॉलिसी लैप्स हो जाए तो टैक्स लग सकता है

पर्सनल लोन

  • यह भी टैक्स-फ्री है

  • लेकिन इस पर कोई टैक्स डिडक्शन नहीं मिलती
    (जब तक कि पैसा घर/बिज़नेस आदि में न लगा हो)


13. अंतिम फैसला कैसे करें?

बीमा पॉलिसी पर लोन चुनें यदि:

  • आपके पास अच्छी कैश वैल्यू वाली पॉलिसी है

  • आप ब्याज बचाना चाहते हैं

  • CIBIL को सुरक्षित रखना चाहते हैं

  • पेपरवर्क कम चाहते हैं

पर्सनल लोन चुनें यदि:

  • आपको बहुत बड़ी रकम चाहिए

  • आप फिक्स्ड EMI चाहते हैं

  • आपकी पॉलिसी में सरेण्डर वैल्यू नहीं है


14. निष्कर्ष: समझदारी से लोन लें

दोनों लोन अपने-अपने तरीके से उपयोगी हैं, लेकिन यदि आपके पास LIC जैसी बचत वाली पॉलिसी है, तो बीमा पॉलिसी पर लोन अधिक सस्ता और सुरक्षित विकल्प साबित होता है।

इससे आपको मिलता है:

  • कम ब्याज

  • सरल प्रक्रिया

  • CIBIL पर कोई असर नहीं

  • तेज़ लोन

पर्सनल लोन सुविधाजनक है, लेकिन महंगा और जोखिम भरा।

आखिर में, तेज़ी से नहीं, समझदारी से लोन लेना ज्यादा फायदेमंद होता है।

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