प्रॉपर्टी फ्रॉड: घर खरीदते वक्त कैसे पहचानें रजिस्ट्री में गड़बड़ी? आम लोगों को ऐसे होती है ठगी!

घर, फ्लैट या ज़मीन खरीदना हर इंसान का सपना होता है। यह किसी के जीवन का सबसे बड़ा निवेश होता है। लेकिन जब यही सपना धोखाधड़ी की वजह से बिखर जाता है, तो सारी मेहनत और पूंजी बर्बाद हो जाती है। आजकल प्रॉपर्टी फ्रॉड (Property Fraud) के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। अखबारों और न्यूज़ चैनलों में अक्सर सुनने को मिलता है कि एक ही जमीन या फ्लैट कई लोगों को बेच दिया गया। ऐसे मामलों में खरीदार के पास अदालत के चक्कर लगाने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचता।

तो सवाल ये है — कैसे बचें प्रॉपर्टी फ्रॉड से? घर या जमीन खरीदते वक्त कौन-सी जांच जरूरी है? और किन दस्तावेज़ों को देखकर आप यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि रजिस्ट्री असली है, नकली नहीं?
इस लेख में हम आसान भाषा में समझेंगे कि प्रॉपर्टी फ्रॉड कैसे होता है और इससे कैसे बचा जा सकता है।

प्रॉपर्टी फ्रॉड: घर खरीदते वक्त कैसे पहचानें रजिस्ट्री में गड़बड़ी? आम लोगों को ऐसे होती है ठगी!


1. प्रॉपर्टी फ्रॉड क्यों बढ़ रहे हैं?

देश में रियल एस्टेट मार्केट तेजी से बढ़ रहा है। शहरों में घरों और प्लॉट्स की डिमांड बहुत ज़्यादा है। इसी के साथ बढ़ रहे हैं फ्रॉड और फर्जी रजिस्ट्री के मामले। कुछ बिल्डर, ब्रोकर और जमीन दलाल भोले-भाले लोगों को निशाना बनाते हैं जो कानूनी प्रक्रिया से अनजान होते हैं।

सबसे आम धोखाधड़ी है “एक ही प्रॉपर्टी की दो या तीन रजिस्ट्री” — यानी एक ही जमीन या फ्लैट कई लोगों के नाम पर रजिस्टर्ड कर दिया जाता है। धोखेबाज़ लोग नकली दस्तावेज़ बनाते हैं, फर्जी सिग्नेचर करते हैं या सिस्टम की खामियों का फायदा उठाते हैं।

जब तक असली मालिक या असली खरीदार को सच्चाई का पता चलता है, तब तक बहुत देर हो चुकी होती है और मामला अदालत में पहुंच जाता है।


2. लोग ठगी का शिकार क्यों बनते हैं?

ज़्यादातर लोग इसलिए ठगे जाते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि रजिस्ट्री ही असली मालिकाना हक का सबूत है। लेकिन यह सच नहीं है। रजिस्ट्री के साथ-साथ कई और दस्तावेज़ों की जांच भी जरूरी होती है।

कुछ आम गलतियाँ जो लोग करते हैं:

  • बिल्डर या ब्रोकर पर अंधा विश्वास करना।

  • कानूनी दस्तावेज़ों की जांच न करना।

  • वकील की सलाह लिए बिना सौदा करना।

  • प्रॉपर्टी साइट पर खुद न जाकर सिर्फ फोटो देखकर फैसला करना।

  • एडवांस में पैसा देना बिना सही कागज़ देखे।

याद रखिए — प्रॉपर्टी खरीदते समय सावधानी, जानकारी और जांच ही सुरक्षा है। भावनाओं में बहकर जल्दबाज़ी करना महँगा पड़ सकता है।


3. एक ही प्रॉपर्टी की दो या तीन रजिस्ट्री कैसे हो जाती है?

कई लोग यह सोचकर हैरान हो जाते हैं कि एक ही प्रॉपर्टी की कई रजिस्ट्री कैसे संभव है। यह गड़बड़ी ज़्यादातर रिकॉर्ड सिस्टम की कमजोरी और खरीदार की लापरवाही से होती है।

गांव और शहरों में जमीन की नोंद (Registration) की प्रक्रिया अलग-अलग होती है। शहरों में अक्सर बिल्डर बड़ी जमीन खरीदकर उसे छोटे-छोटे प्लॉट्स में बांट देते हैं। लेकिन कई बार ये प्लॉट्स बिना अनुमति या अधूरी मंज़ूरी के बेच दिए जाते हैं।

फ्रॉड करने वाले लोग नकली दस्तावेज़, फर्जी आईडी और कथित पावर ऑफ अटॉर्नी (Power of Attorney) का इस्तेमाल करके एक ही जमीन कई लोगों को बेच देते हैं।

जैसे —
किसी बिल्डर ने एक ही फ्लैट तीन लोगों को बेच दिया। हर खरीदार के पास “रजिस्टर्ड डॉक्युमेंट्स” हैं जो असली लगते हैं। लेकिन जब कोई कब्ज़ा लेने या लोन के लिए बैंक जाता है, तभी सच सामने आता है।

इसलिए सिर्फ कागज़ देखकर भरोसा मत कीजिए। जमीन का पूरा इतिहास (Property History) और टाइटल चेन (Title Chain) जांचिए।


4. प्रॉपर्टी खरीदने से पहले किन दस्तावेज़ों की जांच ज़रूरी है

किसी भी जमीन या फ्लैट की डील फाइनल करने से पहले ये दस्तावेज़ जरूर देखें:

🏡 (a) टाइटल डीड (Title Deed)

यह सबसे अहम दस्तावेज़ होता है जो मालिकाना हक साबित करता है। देखें कि विक्रेता (Seller) का नाम टाइटल डीड पर वही है जो सरकारी रिकॉर्ड में दर्ज है। पिछले 30 सालों की ओनरशिप हिस्ट्री भी जांचें।

📜 (b) एन्कम्ब्रेंस सर्टिफिकेट (Encumbrance Certificate - EC)

यह बताता है कि प्रॉपर्टी पर कोई कर्ज, केस या लोन तो नहीं है। यह प्रमाणपत्र सब-रजिस्टार ऑफिस से मिलता है। बिना EC देखे एडवांस देना खतरे का संकेत है।

🧾 (c) टैक्स रसीदें और बिल

सुनिश्चित करें कि प्रॉपर्टी टैक्स, बिजली-पानी के बिल आदि पूरे चुकाए जा चुके हैं। पुराने बकाया आपके ऊपर आ सकते हैं।

🏗️ (d) अप्रूव्ड लेआउट प्लान

प्लॉट या फ्लैट खरीदते समय यह देख लें कि लेआउट या बिल्डिंग प्लान स्थानीय प्राधिकरण (Municipal Authority) से अनुमोदित है।

📑 (e) म्यूटेशन रिकॉर्ड (Record of Rights)

यह रिकॉर्ड बताता है कि सरकारी रिकॉर्ड में असली मालिक कौन है और उस जमीन पर कोई विवाद तो नहीं है।

🧱 (f) पजेशन सर्टिफिकेट (Possession Certificate)

अगर फ्लैट बिल्डर से खरीद रहे हैं तो यह सर्टिफिकेट ज़रूर लें। इसके बिना बिजली या पानी का कनेक्शन नहीं मिलेगा।


5. विक्रेता की पहचान और अधिकार जांचें

बहुत बार धोखेबाज़ ऐसी संपत्ति बेच देते हैं जो उनकी होती ही नहीं। इसलिए सुनिश्चित करें कि विक्रेता वास्तविक मालिक है या उसके पास रजिस्टर्ड पावर ऑफ अटॉर्नी (POA) है।

अगर कोई व्यक्ति किसी और की ओर से बेच रहा है तो उसकी अनुमति की वैधता और तारीख जांचें। विक्रेता की पहचान (आधार, पैन आदि) और हस्ताक्षर दस्तावेज़ों से मिलाएं।


6. सब-रजिस्टार ऑफिस में जाकर रिकॉर्ड जांचें

कभी भी सिर्फ फोटो कॉपी या स्कैन कॉपी पर भरोसा न करें। खुद जाकर सब-रजिस्टार ऑफिस में रजिस्ट्रेशन रिकॉर्ड देखें।
वहीं से एन्कम्ब्रेंस सर्टिफिकेट (EC) मांगें। इससे पता चल जाएगा कि उस जमीन पर पहले से कोई रजिस्ट्री, लोन या केस तो नहीं है।

यह छोटा कदम आपको बड़े नुकसान से बचा सकता है।


7. टाइटल इंश्योरेंस लें – आपकी आर्थिक सुरक्षा

भारत में अभी भी कम लोग टाइटल इंश्योरेंस (Title Insurance) के बारे में जानते हैं, जबकि यह बहुत उपयोगी होता है। यह बीमा कंपनी आपके प्लॉट या फ्लैट की मालिकाना जांच करती है।

अगर बाद में कोई धोखाधड़ी या कानूनी गड़बड़ी सामने आती है तो कंपनी आपकी वित्तीय हानि की भरपाई करती है।
यह बीमा आपकी मेहनत की कमाई को सुरक्षित रखता है।


8. कानूनी सलाह लेना ज़रूरी है

प्रॉपर्टी खरीदने से पहले किसी स्वतंत्र वकील (Property Lawyer) से सभी दस्तावेज़ों की जांच करवाएं।
वकील यह देखेगा कि –

  • टाइटल डीड असली है या नहीं

  • मालिकाना हक की पूरी श्रृंखला (Title Chain) सही है या नहीं

  • कोई कोर्ट केस या लोन तो नहीं चल रहा

  • सरकारी मंजूरी (Approvals) ली गई है या नहीं

कभी भी सिर्फ बिल्डर या ब्रोकर के वकील पर भरोसा न करें।


9. बैंक से लोन लेकर खरीदें – बैंक करेगा कानूनी वेरिफिकेशन

अगर आप होम लोन लेकर प्रॉपर्टी खरीदते हैं तो बैंक अपनी तरफ से पूरी कानूनी जांच करता है।
बैंक तभी लोन मंजूर करता है जब सभी दस्तावेज़ सही और प्रॉपर्टी विवाद-मुक्त हो।

इसलिए, भले ही आपको लोन की ज़रूरत न हो, आप प्रि-अप्रूवल के लिए आवेदन कर सकते हैं। इससे आपको भरोसा रहेगा कि बैंक ने आपकी प्रॉपर्टी को सुरक्षित माना है।


10. नकद लेनदेन से बचें

फ्रॉड करने वाले लोग अक्सर “कम दाम” या “कैश में पेमेंट” का लालच देते हैं।
ऐसे सौदे से दूर रहें। सभी भुगतान बैंक ट्रांसफर या चेक से करें ताकि रिकॉर्ड सुरक्षित रहे।

अगर कोई डील बाजार भाव से बहुत सस्ती लग रही है, तो यह निश्चित रूप से किसी धोखाधड़ी का संकेत है।


11. साइट विज़िट और पड़ोसियों से जानकारी लें

हमेशा जमीन या फ्लैट की साइट पर खुद जाकर देखें।
पड़ोसियों या आस-पास के दुकानदारों से बात करें — वे अक्सर जानते हैं कि जमीन या बिल्डर के खिलाफ कोई विवाद तो नहीं चल रहा।

अगर किसी भी तरह का संदेह लगे, डील को रोक दें।


12. ऑनलाइन साधनों से जांच करें

आजकल ज्यादातर राज्यों ने ऑनलाइन प्रॉपर्टी रिकॉर्ड पोर्टल बनाए हैं।
आप घर बैठे ही जमीन का रिकॉर्ड, सर्वे नंबर और मालिकाना हक जांच सकते हैं।

उदाहरण के लिए:

इन वेबसाइटों से बिना किसी एजेंट के आप खुद दस्तावेज़ जांच सकते हैं।


13. अगर ठगी हो जाए तो क्या करें?

अगर आपको शक है कि आप प्रॉपर्टी फ्रॉड का शिकार हो गए हैं, तो तुरंत ये कदम उठाएं:

  1. पुलिस स्टेशन में FIR दर्ज कराएं।

  2. सब-रजिस्टार ऑफिस को लिखित में सूचित करें।

  3. प्रॉपर्टी लॉयर से सलाह लेकर सिविल केस दायर करें।

  4. सभी साक्ष्य (रसीदें, ईमेल, चैट, गवाह) इकट्ठे करें।

जितनी जल्दी कार्रवाई करेंगे, उतना बेहतर मौका रहेगा अपना पैसा या हक वापस पाने का।


14. कुछ अहम कानून जो जानना ज़रूरी है

  • भारतीय दंड संहिता (IPC) धारा 420 – धोखाधड़ी और छल से संपत्ति हड़पना।

  • IPC धारा 468 और 471 – दस्तावेज़ों की जालसाजी और नकली दस्तावेज़ का प्रयोग।

  • ट्रांसफर ऑफ प्रॉपर्टी एक्ट, 1882 – संपत्ति हस्तांतरण से जुड़े नियम।

  • रजिस्ट्रेशन एक्ट, 1908 – प्रॉपर्टी रजिस्ट्री की प्रक्रिया को परिभाषित करता है।

इन कानूनों की बुनियादी जानकारी आपके हक की रक्षा में मदद करती है।


15. याद रखने योग्य बातें – कैसे रहें सुरक्षित

✅ सिर्फ रजिस्ट्री नहीं, सभी दस्तावेज़ जांचें।
✅ सब-रजिस्टार ऑफिस से Encumbrance Certificate ज़रूर लें।
✅ वकील से डॉक्यूमेंट्स की जांच करवाएं।
✅ बैंक-अप्रूव्ड या सरकारी मंज़ूरशुदा प्रोजेक्ट से खरीदें।
✅ नकद भुगतान और बहुत सस्ती डील से बचें।
✅ टाइटल इंश्योरेंस लें।
✅ साइट विज़िट करें और पड़ोसियों से पूछें।
✅ हर लेनदेन की रसीद और कॉपी सुरक्षित रखें।


16. निष्कर्ष: जागरूकता ही सुरक्षा है

घर या जमीन खरीदना सिर्फ सौदा नहीं, बल्कि जीवन की सबसे बड़ी जिम्मेदारी है। धोखेबाज़ तभी सफल होते हैं जब खरीदार लापरवाह या अनजान होता है।

अगर आप थोड़ी सावधानी बरतें — दस्तावेज़ जांचें, वकील से सलाह लें, टाइटल इंश्योरेंस कराएं और खुद जांच करें — तो कोई भी आपको ठग नहीं सकता।

याद रखें: प्रॉपर्टी में निवेश से पहले जानकारी ही सबसे बड़ा बचाव है।
थोड़ा वक्त लगाइए, लेकिन अपने सपनों का घर पूरी सुरक्षा के साथ खरीदिए।
सावधान रहें, समझदारी से निवेश करें, और अपने सपनों की छत को सुरक्षित बनाएं। 🏡

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