‘0% मेकिंग चार्ज पर सोने के गहने’: असल में आपकी जेब से जा रहा है ज़्यादा पैसा
आजकल ज्वेलरी शोरूम्स के बाहर बड़े-बड़े बोर्ड लगे दिखते हैं – “0% मेकिंग चार्जेस!”
पहली नज़र में यह ऑफर बेहद लुभावना लगता है। आमतौर पर सोने के गहनों पर मेकिंग चार्ज 8% से 20% तक होता है। अगर कोई ज्वेलर इसे पूरी तरह माफ़ कर दे तो खरीदार को लगता है कि बड़ी बचत हो रही है।
लेकिन सच्चाई यह है कि “0% मेकिंग चार्ज” वास्तव में उतना फायदेमंद नहीं है।
अकसर ऐसे ऑफर में ग्राहक, पारदर्शी दुकानदार से खरीदे गहनों की तुलना में ज़्यादा पैसा चुका देता है।
आइए जानते हैं, ज्वेलर्स किस तरह पांच छिपे हुए तरीकों से अपना मुनाफ़ा निकालते हैं और आपको लगता है कि आपने मेकिंग चार्ज बचा लिया।
1. बढ़ी हुई सोने की दर – प्रति ग्राम ज़्यादा भुगतान
मान लीजिए आप गूगल पर देखते हैं कि आज का सोने का भाव है ₹6,000 प्रति ग्राम।
लेकिन “0% मेकिंग चार्ज” वाला ज्वेलर आपको कहेगा: ₹6,200 प्रति ग्राम।
अगर आपने 50 ग्राम का हार खरीदा तो:
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असली भाव (50 × 6000) = ₹3,00,000
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दुकान का भाव (50 × 6200) = ₹3,10,000
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आपका अतिरिक्त नुकसान = ₹10,000
यानी बिना बताए ही आपसे लगभग 2% छिपा हुआ चार्ज ले लिया गया।
👉 सलाह: हमेशा खरीदने से पहले IBJA या BIS Care ऐप पर लाइव रेट देख लें और उसी रेट पर सौदा करें।
2. अलग से वेस्टेज चार्ज – 2% को 5% बनाना
गहने बनाने में थोड़ा सोना ज़ाया होता है (फाइलिंग, पॉलिशिंग आदि)। असल में यह 2–3% तक ही होता है।
लेकिन “0% मेकिंग चार्ज” ऑफर में कई दुकानदार इसे 5–7% तक बता देते हैं।
उदाहरण:
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चेन का वज़न: 40 ग्राम
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रेट: ₹6,000 प्रति ग्राम
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वेस्टेज: 5% = 2 ग्राम
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कुल बिलिंग = 42 ग्राम
आपने 40 ग्राम का गहना लिया लेकिन 42 ग्राम का पैसा दिया।
अतिरिक्त नुकसान = 2 × 6000 = ₹12,000
👉 सलाह: वेस्टेज का प्रतिशत बिल पर साफ-साफ लिखवाएँ। 2–3% से अधिक होने पर सावधान हो जाएँ।
3. ज़रूरत से ज़्यादा महंगे पत्थर – मुनाफे का गुप्त ज़रिया
कई बार ज्वेलर्स गहनों में नकली हीरे, अमेरिकन डायमंड या रंगीन पत्थर लगाते हैं। फिर उनका दाम सोने से भी ज़्यादा वसूलते हैं।
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असली कीमत: ₹500
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बिल में कीमत: ₹5,000
यानी लगभग 900% मार्जिन।
बाद में जब आप गहना बेचेंगे तो दुकानदार पत्थर का कोई भाव नहीं देगा।
👉 सलाह: निवेश के लिए हमेशा सादा सोने के गहने (22K या 24K) खरीदें। फैशन के लिए अगर पत्थर वाले गहने लें तो समझें कि resale value बहुत कम है।
4. खराब बायबैक और एक्सचेंज शर्तें – रिसेल पर बड़ा घाटा
ज्वेलर्स कहते हैं:
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“90% बायबैक वैल्यू”
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“लाइफटाइम एक्सचेंज”
लेकिन 0% मेकिंग चार्ज वाले गहनों पर असलियत अलग होती है – अकसर सिर्फ 70–80% तक ही सोने की कीमत लौटाई जाती है।
उदाहरण:
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खरीदा: ₹1,00,000 का गहना
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सामान्य बायबैक: ₹90,000
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0% मेकिंग चार्ज गहना बायबैक: ₹75,000
₹15,000 का घाटा सिर्फ इस वजह से कि आपने “0% ऑफर” लिया।
👉 सलाह: हमेशा बायबैक और एक्सचेंज की शर्तें लिखित में बिल पर लें।
5. होलसेल मार्जिन – ग्राहक तक न पहुँचना
ज्वेलर्स सोना थोक दर (wholesale rate) पर खरीदते हैं, जो खुदरा (retail) से कम होता है।
लेकिन 0% मेकिंग चार्ज वाले ऑफर में यह फायदा कभी ग्राहक तक नहीं पहुँचता।
ऊपर से अगर दुकानदार ने पुरानी सस्ती दर पर सोना खरीदा और आज के महंगे भाव पर आपको बेचा, तो उसका फायदा भी सिर्फ उसी को होता है।
👉 सलाह: सिर्फ उन्हीं दुकानों से खरीदें जो रोज़ाना का रेट बोर्ड पर साफ़ लिखते हों और बिलिंग पारदर्शी हो।
असल बचत कहाँ है?
अगर कोई ज्वेलर ईमानदारी से 10% मेकिंग चार्ज ले और सही गोल्ड रेट व वेस्टेज रखे, तो आपकी जेब से कम पैसा जाएगा।
यानी “0%” से हमेशा बचत नहीं होती। असली बचत होती है पारदर्शी रेट और सही बिलिंग में।
स्मार्ट ख़रीदार की चेकलिस्ट
✔️ हॉलमार्क HUID नंबर BIS Care ऐप पर ज़रूर चेक करें।
✔️ लाइव गोल्ड रेट हमेशा तुलना करें।
✔️ विस्तृत बिल लें – वज़न, रेट, वेस्टेज, स्टोन चार्ज, GST सब अलग-अलग लिखे हों।
✔️ पत्थर वाले गहनों से बचें (निवेश के लिए)।
✔️ बायबैक पॉलिसी लिखित में लें।
✔️ कम से कम 2–3 दुकानों में रेट तुलना करें।
निष्कर्ष – 0% का मायाजाल
जब अगली बार आप “0% मेकिंग चार्ज” का बोर्ड देखें, तो याद रखें:
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मेकिंग चार्ज गायब नहीं हुआ, बस छिपा दिया गया है।
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असल में आप ज़्यादा चुकाते हैं – कभी बढ़े हुए रेट से, कभी वेस्टेज से, कभी पत्थरों के बहाने से।
सही जानकारी और सतर्कता ही आपकी सबसे बड़ी बचत है।
क्योंकि सोने के गहनों की दुनिया में, जहाँ 0% लिखा हो, वहाँ अक्सर सबसे ज़्यादा कीमत छिपी होती है।
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