पत्नी के नाम पर घर खरीदना क्यों है यह फायदेमंद सौदा

भारत में ज़्यादातर परिवारों के लिए घर खरीदना जीवन का सबसे बड़ा आर्थिक फ़ैसला होता है। यह सिर्फ़ ईंट और सीमेंट से बनी इमारत नहीं है, बल्कि सुरक्षा, स्थिरता और उपलब्धि का प्रतीक है। लेकिन जब लोग घर खरीदते हैं तो ज़्यादातर ध्यान सिर्फ़ जगह, बजट और सुविधाओं पर रहता है। एक महत्वपूर्ण पहलू को अक्सर नज़रअंदाज़ कर दिया जाता है—घर पत्नी के नाम पर खरीदना

पहली नज़र में यह एक प्रतीकात्मक कदम लगता है—प्यार और सम्मान जताने का तरीका। लेकिन विशेषज्ञ मानते हैं कि यह एक बेहद स्मार्ट फ़ाइनेंशियल स्ट्रैटेजी भी है। इससे न केवल बड़ी बचत हो सकती है बल्कि टैक्स और लीगल फायदे भी मिलते हैं।

इस लेख में हम विस्तार से समझेंगे कि पत्नी के नाम पर प्रॉपर्टी खरीदने से क्या-क्या फायदे मिलते हैं, किन बातों का ध्यान रखना ज़रूरी है और कैसे दंपत्ति स्मार्ट प्लानिंग करके इनका पूरा लाभ उठा सकते हैं।

पत्नी के नाम पर घर खरीदना क्यों है यह फायदेमंद सौदा

1. स्टाम्प ड्यूटी में सीधी बचत

घर खरीदते समय हर राज्य सरकार को स्टाम्प ड्यूटी नाम का टैक्स देना पड़ता है। यह टैक्स आमतौर पर प्रॉपर्टी की कीमत का 4% से 8% तक होता है।

लेकिन खास बात यह है कि अधिकतर राज्यों में महिलाओं के लिए स्टाम्प ड्यूटी पुरुषों की तुलना में 1%–2% कम रखी गई है।

👉 उदाहरण:
मान लीजिए आप दिल्ली में ₹3 करोड़ का घर खरीद रहे हैं।

  • पुरुष खरीदार के लिए स्टाम्प ड्यूटी: 6% = ₹18 लाख

  • महिला खरीदार के लिए स्टाम्प ड्यूटी: 4% = ₹12 लाख

  • सीधी बचत: ₹6 लाख

कुछ राज्यों में पति–पत्नी अगर जॉइंट ओनरशिप लेते हैं तो अतिरिक्त छूट भी मिलती है। यानी लेन-देन की कुल लागत और भी कम हो जाती है।


2. होम लोन पर कम ब्याज दर

बैंक और हाउसिंग फाइनेंस कंपनियाँ महिला ग्राहकों को प्रोत्साहित करने के लिए उन्हें होम लोन पर कम ब्याज दर देती हैं। औसतन यह दर 0.5% से 1% तक कम होती है।

👉 उदाहरण:
₹1 करोड़ का लोन 20 साल के लिए—

  • सामान्य दर: 9% → EMI लगभग ₹89,900

  • महिला उधारकर्ता की दर: 8.5% → EMI लगभग ₹86,600

  • मासिक बचत: ₹3,300

  • 20 साल में कुल बचत: लगभग ₹8 लाख

सिर्फ इतना ही नहीं, प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY) में महिला खरीदारों को प्राथमिकता और ब्याज सब्सिडी मिलती है, जिससे ₹2.5–3 लाख तक की और बचत संभव है।

कुल मिलाकर ब्याज दर और सरकारी योजना दोनों मिलाकर परिवार ₹10 लाख या उससे अधिक बचा सकता है।


3. टैक्स बेनिफिट्स डबल

अगर पति–पत्नी दोनों मिलकर प्रॉपर्टी खरीदते हैं तो टैक्स में भी बड़ा फायदा मिलता है।

  • धारा 80C: होम लोन की प्रिंसिपल रकम पर प्रति व्यक्ति ₹1.5 लाख तक की छूट मिलती है।

  • धारा 24(b): ब्याज के भुगतान पर प्रति व्यक्ति ₹2 लाख तक की छूट मिलती है।

👉 उदाहरण:
अगर सालाना ब्याज ₹4 लाख है तो पति–पत्नी दोनों अलग-अलग ₹2–2 लाख का दावा कर सकते हैं। इसी तरह, प्रिंसिपल पर भी दोनों मिलकर ₹3 लाख तक का फायदा ले सकते हैं।

यानी टैक्स बचत दोगुनी हो जाती है, जिससे घर खरीदना और भी सस्ता हो जाता है।


4. कानूनी सुरक्षा

अगर पति किसी बिज़नेस में हैं या उन पर व्यक्तिगत देनदारी है, तो ऐसे में पत्नी की हिस्सेदारी पर सामान्यत: कर्ज़दाताओं का दावा नहीं बनता—बशर्ते पत्नी वास्तव में सह-स्वामी हो और उसने आर्थिक योगदान दिया हो।

इस तरह, पत्नी के नाम प्रॉपर्टी होने से परिवार को कानूनी ढाल मिलती है और बुरे समय में भी घर सुरक्षित रहता है।


5. महिलाओं को सशक्त बनाना

वित्तीय और कानूनी लाभों से आगे, यह कदम महिलाओं के लिए आत्मनिर्भरता और सुरक्षा का प्रतीक भी है।

  • महिलाओं की आर्थिक स्थिति मज़बूत होती है।

  • संपत्ति में बराबरी का हक़ मिलता है।

  • परिवार में वित्तीय साझेदारी और भरोसा बढ़ता है।


6. ध्यान देने योग्य बातें

हालाँकि फायदे बहुत हैं, लेकिन कुछ बातों पर ध्यान देना ज़रूरी है—

  • क्लबिंग प्रावधान: अगर पत्नी ने आर्थिक योगदान नहीं किया है तो प्रॉपर्टी से मिलने वाली किराया आय पति की आय में जोड़कर टैक्स लगेगा।

  • जेनुइन योगदान: पत्नी को लोन में सह-उधारकर्ता होना चाहिए और EMI या बचत से योगदान देना चाहिए।

  • लोन पात्रता: कभी-कभी बैंक प्राथमिक कमाई करने वाले को ही मुख्य उधारकर्ता मानते हैं, ऐसे में जॉइंट लोन सबसे बेहतर विकल्प है।

  • उत्तराधिकार: भविष्य में वसीयत या उत्तराधिकार के नियम भी ध्यान में रखने चाहिए।


7. किन-किन राज्यों में मिलती है छूट

कुछ उदाहरण—

  • दिल्ली: महिलाओं के लिए 4%, पुरुषों के लिए 6%

  • हरियाणा: शहरी क्षेत्रों में महिलाओं के लिए 5%, पुरुषों के लिए 7%

  • उत्तर प्रदेश: महिलाओं को ₹10,000 की विशेष छूट

  • राजस्थान: महिलाओं के लिए 4%, पुरुषों के लिए 5%

  • पंजाब: महिलाओं के लिए 4%, पुरुषों के लिए 6%


8. दंपत्ति के लिए स्मार्ट रोडमैप

  1. अपने राज्य की स्टाम्प ड्यूटी छूट की जानकारी लें।

  2. बैंक ऑफ़र्स की तुलना करें और महिला उधारकर्ताओं के रेट देखें।

  3. सुनिश्चित करें कि पत्नी भी EMI या बचत से योगदान करे।

  4. रजिस्ट्रेशन में दोनों के नाम साफ़-साफ़ लिखें।

  5. टैक्स रिटर्न दाखिल करते समय दोनों अपना-अपना बेनिफिट क्लेम करें।

  6. भविष्य के लिए वसीयत या उत्तराधिकार योजना बना लें।


9. सरकार क्यों बढ़ावा देती है महिला मालिकाना हक़?

महिलाओं को प्रॉपर्टी में मालिकाना हक़ देने से—

  • वित्तीय समावेशन बढ़ता है,

  • परिवार स्थिर होते हैं,

  • बैंक लोन की अदायगी बेहतर होती है,

  • और लिंग असमानता कम होती है।


10. निष्कर्ष: परिवार के लिए फ़ायदे का सौदा

पत्नी के नाम पर घर खरीदना सिर्फ़ भावनात्मक नहीं बल्कि बेहद लाभदायक आर्थिक निर्णय भी है।

फायदे—

  • स्टाम्प ड्यूटी में सीधी बचत

  • होम लोन पर कम ब्याज

  • दोगुने टैक्स बेनिफिट्स

  • कानूनी सुरक्षा

  • महिला सशक्तिकरण

लेकिन इसका पूरा लाभ तभी मिलेगा जब सही प्लानिंग की जाए और पत्नी का वास्तविक आर्थिक योगदान हो।

मुख्य संदेश: घर खरीदते समय केवल “कहाँ खरीदें?” मत सोचिए। यह भी सोचिए “किसके नाम पर खरीदें?”—क्योंकि यही फ़ैसला आपको लाखों की बचत करा सकता है और परिवार का भविष्य और सुरक्षित बना सकता है।

Comments

Popular posts from this blog

Aman Shrivas Sets New Standard in EdTech with Dream Mission: India's First Ethical Skill-Based Platform

Sobia Nabi: Champion of Public Speaking, Gender Equality, and Student Leadership in India

RBI Rule: Can Your Account Go Into Minus for Not Maintaining Minimum Balance? Know What RBI Says