100 साल पुराने प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन नियम में बड़ा बदलाव: अब ऐसे होगी खरीद-फरोख्त की प्रक्रिया
भारत में प्रॉपर्टी की खरीद-बिक्री हमेशा से एक जटिल और समय लेने वाली प्रक्रिया रही है। अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग नियम, कागज़ी दस्तावेज़ों की लंबी लिस्ट, और रजिस्ट्रेशन के लिए घंटों इंतज़ार—ये सब मिलकर आम नागरिक के लिए यह काम मुश्किल बना देते थे। लेकिन अब, केंद्र सरकार 100 साल से भी पुराने प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन के नियमों में ऐतिहासिक बदलाव करने जा रही है। इस कदम से न केवल पारदर्शिता बढ़ेगी, बल्कि धोखाधड़ी और फर्जीवाड़ा भी कम होगा।
पुराना कानून और उसकी चुनौतियां
भारत में प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन 1908 के रजिस्ट्रेशन एक्ट (Registration Act) के तहत होता आया है। यह कानून ब्रिटिश काल में बनाया गया था, जब न तो डिजिटल टेक्नोलॉजी थी, न ही ऑनलाइन सिस्टम।
इस पुराने सिस्टम में:
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ज्यादातर काम ऑफलाइन होते थे
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फाइलों और कागज़ी दस्तावेज़ों का बोझ
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रिकॉर्ड खोने या छेड़छाड़ की संभावना
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राज्यों के बीच अलग-अलग नियम और प्रक्रियाएं
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सत्यापन में समय और मेहनत दोनों ज़्यादा लगना
इन कमियों के कारण रजिस्ट्री की प्रक्रिया कई बार हफ्तों तक खिंच जाती थी और धोखाधड़ी के मामले भी सामने आते थे।
नए नियम का उद्देश्य
केंद्र सरकार ने अब एक आधुनिक, पारदर्शी और डिजिटल-फ्रेंडली रजिस्ट्रेशन सिस्टम लागू करने का फैसला किया है। इस बदलाव के पीछे तीन मुख्य उद्देश्य हैं:
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पारदर्शिता बढ़ाना – ताकि कोई भी लेन-देन छुपा न रह जाए।
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धोखाधड़ी रोकना – नकली कागज़ात और फर्जी मालिकाना हक को खत्म करना।
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डिजिटल रिकॉर्ड सुरक्षित रखना – ताकि दस्तावेज़ हमेशा उपलब्ध रहें।
नए कानून की मुख्य बातें
यह प्रस्तावित कानून 117 साल पुराने रजिस्ट्रेशन एक्ट की जगह लेगा। भूमि संसाधन विभाग (Department of Land Resources) ने इसका मसौदा तैयार किया है और इसे जनता से राय लेने के लिए जारी किया है।
1. ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन अनिवार्य
अब प्रॉपर्टी का रजिस्ट्रेशन ऑनलाइन करना जरूरी होगा। इसका मतलब है कि आपको सरकारी पोर्टल के माध्यम से दस्तावेज़ अपलोड करने होंगे और वेरिफिकेशन भी डिजिटल तरीके से होगा।
2. इन दस्तावेजों का रजिस्ट्रेशन जरूरी
नए मसौदे के अनुसार, अब निम्नलिखित दस्तावेजों का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य कर दिया जाएगा:
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Agreement to Sell (बिक्री का एग्रीमेंट)
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Power of Attorney (पॉवर ऑफ अटॉर्नी)
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Sale Certificate (बिक्री प्रमाण पत्र)
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Equitable Mortgage (बंधक का समझौता)
3. आधार कार्ड वेरिफिकेशन
अब प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन के लिए आधार कार्ड अनिवार्य होगा। हालांकि, जिन लोगों को आधार साझा करने में दिक्कत है, उनके लिए वैकल्पिक पहचान विकल्प भी होंगे।
4. डिजिटल प्रमाणपत्र
रजिस्ट्रेशन के बाद आपको एक इलेक्ट्रॉनिक रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट मिलेगा, जिसे आप कभी भी डाउनलोड कर सकते हैं।
5. ई-प्रस्तुति की सुविधा
अब सारे दस्तावेज़ ई-फॉर्मेट में जमा किए जा सकेंगे, जिससे समय की बचत होगी।
राज्यों पर असर
अभी तक कई राज्यों ने अपनी-अपनी सुविधा के अनुसार ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन शुरू किया था। लेकिन अब केंद्र सरकार एक एकीकृत राष्ट्रीय कानून लाने जा रही है, जो पूरे देश में समान रूप से लागू होगा।
इससे:
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सभी राज्यों में प्रक्रिया एक जैसी होगी
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दस्तावेज़ों का फॉर्मेट और वेरिफिकेशन सिस्टम समान होगा
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लोग किसी भी राज्य में आसानी से प्रॉपर्टी खरीद-बिक्री कर सकेंगे
क्यों जरूरी था यह बदलाव?
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टेक्नोलॉजी का बढ़ता इस्तेमाल – आज ज्यादातर काम ऑनलाइन हो रहे हैं, ऐसे में प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन को भी डिजिटल करना जरूरी था।
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धोखाधड़ी के मामले – नकली मालिकाना हक, दोहरी बिक्री और फर्जी कागज़ात जैसे मामलों को रोकना।
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समय और मेहनत की बचत – डिजिटल प्रक्रिया से हफ्तों का काम कुछ दिनों या घंटों में पूरा होगा।
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भविष्य के लिए सुरक्षित रिकॉर्ड – डिजिटल स्टोरेज से दस्तावेज़ हमेशा सुरक्षित रहेंगे।
आपके लिए इसका क्या मतलब है?
अगर आप आने वाले समय में:
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प्रॉपर्टी खरीदने
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प्रॉपर्टी बेचने
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या जमीन से जुड़ा कोई भी कानूनी दस्तावेज़ बनवाने
की सोच रहे हैं, तो आपको यह जानना जरूरी है कि अब प्रक्रिया पूरी तरह डिजिटल होगी।
फायदे
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तेज़ और आसान प्रक्रिया
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कम रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार
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धोखाधड़ी के मामलों में कमी
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दस्तावेज़ कभी खोने का डर नहीं
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राष्ट्रीय स्तर पर एक जैसे नियम
संभावित चुनौतियां
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इंटरनेट कनेक्टिविटी की कमी वाले इलाकों में परेशानी
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डिजिटल स्किल्स की कमी से बुजुर्गों को दिक्कत
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साइबर सिक्योरिटी के खतरे
सरकार को इन चुनौतियों के समाधान पर भी ध्यान देना होगा।
आगे की राह
भूमि संसाधन विभाग ने जनता से सुझाव मांगे हैं। अगर यह कानून पास हो जाता है, तो आने वाले कुछ महीनों में इसे लागू किया जाएगा।
निष्कर्ष:
केंद्र सरकार का यह कदम भारत के रियल एस्टेट सेक्टर में एक ऐतिहासिक बदलाव साबित हो सकता है। यह न केवल प्रक्रिया को तेज़ और पारदर्शी बनाएगा, बल्कि लोगों का भरोसा भी बढ़ाएगा। प्रॉपर्टी की खरीद-बिक्री अब 21वीं सदी के डिजिटल भारत के अनुरूप होगी।
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