Gurugram News: अब गुरुग्राम में घर बनाना मुश्किल, पड़ोसी की इजाजत के बिना नहीं बना सकते मकान
गुरुग्राम, जिसे देश का कॉर्पोरेट हब कहा जाता है, अब एक अजीब और विवादित नियम के कारण चर्चा में है। हरियाणा सरकार की नई Stilt + 4 Policy के तहत, अगर कोई मकान मालिक अपनी जमीन पर चार मंज़िला घर बनाना चाहता है, तो उसे पड़ोसी से लिखित NOC (No Objection Certificate) लेना अनिवार्य कर दिया गया है।
पहली नज़र में यह नियम सुनने में सामान्य लगता है, लेकिन हकीकत इससे कहीं ज़्यादा जटिल और विवादित है। कई मामलों में, पड़ोसी अब इस NOC को एक सौदेबाजी का हथियार बना रहे हैं और लाखों रुपये की मांग कर रहे हैं। नतीजा यह कि घर बनाने का सपना लोगों के लिए अब सिर्फ इंजीनियरिंग या आर्किटेक्चर का नहीं, बल्कि बातचीत और मोलभाव का विषय बन गया है।
नई पॉलिसी क्या कहती है?
हरियाणा सरकार ने हाल ही में Stilt + 4 Policy लागू की है। इस नीति के तहत:
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मकान मालिक अपनी ज़मीन पर चार मंजिला घर बना सकते हैं।
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चौथी मंज़िल बनाने के लिए पड़ोसी की लिखित सहमति (NOC) लेना अनिवार्य है।
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अगर पड़ोसी NOC नहीं देता, तो मकान मालिक को 1.8 मीटर का सेटबैक छोड़ना होगा।
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इस सेटबैक से जमीन का एक हिस्सा इस्तेमाल नहीं हो पाएगा, जिससे प्रॉपर्टी की कीमत और उपयोगिता कम हो जाएगी।
कैसे बढ़ी परेशानी?
नई नीति का मकसद तो था कि तेजी से बढ़ती आबादी और हाउसिंग की डिमांड को पूरा किया जा सके। लेकिन इसके साथ ही एक नया conflict of interest पैदा हो गया।
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पड़ोसी अब NOC देने के बदले 40 लाख रुपये तक की मांग कर रहे हैं।
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यह रकम अक्सर प्रॉपर्टी के मार्केट वैल्यू का 10% तक होती है।
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अगर मालिक पैसा नहीं दे, तो उसे अपनी जमीन का पूरा फायदा नहीं मिल पाता।
रियल लाइफ केस: 40 लाख की डिमांड
हाल ही में इनवेस्टमेंट बैंकर सार्थक आहूजा ने लिंक्डइन पर अपने अनुभव साझा किए। उन्होंने बताया कि गुरुग्राम में पड़ोसी अब NOC के बदले भारी रकम मांग रहे हैं।
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चौथी मंजिल बनने से मकान की कीमत लगभग 4 करोड़ रुपये तक पहुंच सकती है।
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पड़ोसी इसी का 10% हिस्सा (40 लाख रुपये तक) मांग रहे हैं।
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अगर मालिक पैसे देने से मना कर दे, तो चौथी मंजिल बनाने का फायदा अधूरा रह जाता है।
कुछ लोग इसे समझदारी से की गई सौदेबाजी मानते हैं, तो कुछ इसे वसूली (extortion) का नया तरीका कह रहे हैं।
पड़ोसी का पैसा मांगना सही या गलत?
यहां सवाल उठता है कि क्या पड़ोसी का पैसा मांगना गैर-कानूनी है?
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कानूनी नजरिए से: पड़ोसी को सरकार ने अधिकार दिया है कि वह NOC दे या रोक ले। अगर वह बदले में पैसे मांगता है, तो इसे bribe या corruption नहीं माना जा सकता।
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नैतिक नजरिए से: यह व्यवहार पड़ोसियों के बीच आपसी विश्वास और रिश्तों को खराब करता है। पहले जहां मकान बनाने में पड़ोसी का सहयोग महत्वपूर्ण होता था, अब यह एक लेन-देन बन गया है।
विशेषज्ञ क्या कहते हैं?
1. रियल एस्टेट एक्सपर्ट्स
विशेषज्ञों का मानना है कि यह पॉलिसी housing demand को पूरा करने के लिए बनाई गई थी, लेकिन इसके loopholes का लोग फायदा उठा रहे हैं।
2. कानूनी विशेषज्ञ
कानूनी जानकार कहते हैं कि जब तक सरकार NOC को वैकल्पिक नहीं बनाती, पड़ोसियों की डिमांड को अवैध साबित करना मुश्किल है।
3. सिविल सोसायटी और RWA
रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशंस का कहना है कि इस पॉलिसी ने पड़ोसियों के बीच तनाव और विवाद को बढ़ा दिया है।
पड़ोसियों पर असर
नई पॉलिसी ने पड़ोसियों के रिश्ते को पूरी तरह बदल दिया है।
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पहले: अच्छे रिश्ते और सहयोग पर ज़ोर होता था।
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अब: सौदेबाजी और पैसों का लेन-देन हावी है।
नतीजा यह कि neighborly trust कमजोर हो रहा है और conflict culture बढ़ रहा है।
आर्थिक पहलू
1. मकान मालिक के लिए नुकसान
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अगर NOC नहीं मिला, तो 1.8 मीटर setback से जमीन का पूरा उपयोग नहीं हो पाता।
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इससे प्रॉपर्टी का बाजार मूल्य घट सकता है।
2. पड़ोसी के लिए फायदा
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पड़ोसी बिना कोई इन्वेस्टमेंट किए लाखों रुपये कमा सकता है।
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यह उसके लिए एक अतिरिक्त आय (windfall gain) बन गया है।
सरकार पर सवाल
हरियाणा सरकार की Stilt + 4 Policy पर कई सवाल उठ रहे हैं:
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क्या सरकार ने यह सोचा था कि लोग इसे कमाई का जरिया बना लेंगे?
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क्या यह नीति घर बनाने वालों के लिए मुसीबत नहीं बन गई?
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क्या सरकार को इस पॉलिसी में संशोधन करना चाहिए?
संभावित समाधान
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सरकारी हस्तक्षेप
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NOC को अनिवार्य की बजाय सलाहकार बनाया जाए।
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पड़ोसी की सहमति सिर्फ सुरक्षा और स्ट्रक्चरल इश्यू तक सीमित हो।
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मध्यस्थता तंत्र (Mediation System)
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अगर विवाद हो, तो RWA या नगर निगम बीच में आकर समाधान करे।
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सीमित मुआवजा प्रणाली
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पड़ोसी को सरकार द्वारा तय एक फिक्स्ड मुआवजा मिले, लेकिन वह मनमाना पैसा न मांग सके।
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सोशल मीडिया पर चर्चा
सोशल मीडिया पर लोग इसे लेकर अलग-अलग राय दे रहे हैं:
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कुछ इसे fair deal मानते हैं, क्योंकि चौथी मंज़िल से प्रॉपर्टी वैल्यू बढ़ती है।
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कुछ इसे legalized extortion बता रहे हैं।
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युवा खरीदार और नए मकान मालिक इसे सबसे ज्यादा frustrating मान रहे हैं।
निष्कर्ष
गुरुग्राम की यह खबर सिर्फ एक शहर या एक पॉलिसी की कहानी नहीं है, बल्कि यह बताती है कि कैसे सरकारी नीतियां कभी-कभी अच्छे इरादों के बावजूद नई समस्याओं को जन्म दे देती हैं।
जहां सरकार ने मकान बनाने की आज़ादी और फ्लोर-वाइज़ रजिस्ट्री की सुविधा दी, वहीं NOC की अनिवार्यता ने पड़ोसियों के रिश्तों को transactional बना दिया।
आज हालात यह हैं कि घर बनाने का सपना सिर्फ engineering और वास्तुशास्त्र का नहीं, बल्कि मोलभाव और negotiation का भी खेल बन गया है।
अगर सरकार ने जल्द ही इस पॉलिसी में संशोधन नहीं किया, तो गुरुग्राम और हरियाणा के अन्य शहरों में housing tension और neighborhood conflicts और बढ़ सकते हैं।
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