इनकम टैक्स: ये 8 दस्तावेज़ कर लें तैयार, ITR भरने के लिए सीए की नहीं पड़ेगी ज़रूरत
ITR फाइलिंग का आसान तरीका: जानिए किन दस्तावेज़ों से खुद ही भर सकेंगे टैक्स रिटर्न
हर साल जुलाई का महीना आते ही लाखों लोग इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) भरने की तैयारियों में लग जाते हैं। अधिकतर लोग इसके लिए किसी चार्टर्ड अकाउंटेंट (CA) की मदद लेते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि अगर आपके पास कुछ जरूरी दस्तावेज़ मौजूद हों, तो आप खुद भी ITR फाइल कर सकते हैं—बिना किसी परेशानी और अतिरिक्त खर्च के।
इस लेख में हम आपको आठ ऐसे जरूरी दस्तावेज़ों के बारे में बताएंगे जिनकी मदद से आप आसानी से खुद ही अपना इनकम टैक्स रिटर्न भर सकते हैं। ये डॉक्यूमेंट सिर्फ आपकी टैक्स भरने की प्रक्रिया को आसान नहीं बनाएंगे, बल्कि आपको टैक्स संबंधित धोखाधड़ी और गलतियों से भी बचाएंगे।
1. फॉर्म-16: नौकरीपेशा लोगों का पहला हथियार
क्या है फॉर्म 16?
फॉर्म 16 एक ऐसा प्रमाणपत्र है जो आपके नियोक्ता (employer) द्वारा जारी किया जाता है। इसमें आपकी सालभर की कुल सैलरी और उस पर काटे गए टैक्स की पूरी जानकारी होती है। ये फॉर्म दो हिस्सों में आता है:
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Part A: इसमें आपके पैन, TAN, नियोक्ता की डिटेल और TDS (Tax Deducted at Source) की जानकारी होती है।
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Part B: इसमें सैलरी ब्रेकअप, HRA, स्टैंडर्ड डिडक्शन, 80C जैसी डिडक्शन की डिटेल होती है।
कैसे मदद करता है:
ITR फाइल करते वक्त यह फॉर्म आपकी आय और टैक्स की सटीक जानकारी देने में मदद करता है, जिससे गलतियाँ कम होती हैं।
2. TDS सर्टिफिकेट्स: टैक्स कटौती की पूरी जानकारी
क्या होते हैं TDS सर्टिफिकेट?
अगर आपकी आय पर कहीं टैक्स कटा है (जैसे बैंक ब्याज, किराए से आय, आदि), तो संबंधित संस्थान आपको TDS सर्टिफिकेट देता है। इसमें मुख्य चार प्रकार होते हैं:
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Form 16A: बैंक FD, RD पर TDS
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Form 16B: प्रॉपर्टी बेचने पर TDS
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Form 16C: किराए पर दी गई प्रॉपर्टी से TDS
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Form 16D: अन्य स्रोतों से TDS
महत्व:
इन सर्टिफिकेट्स से यह पता चलता है कि आपकी आय पर कितना टैक्स पहले ही काटा जा चुका है, जिससे आप उसे ITR में क्लेम कर सकते हैं।
3. कैपिटल गेन स्टेटमेंट: निवेश से हुई कमाई की जानकारी
कैसे मिलता है ये स्टेटमेंट?
अगर आपने किसी शेयर, म्यूचुअल फंड या किसी संपत्ति को बेचा है और उस पर लाभ (Capital Gain) हुआ है, तो उसका विवरण ब्रोकर या म्यूचुअल फंड हाउस से स्टेटमेंट के रूप में लिया जा सकता है।
कैसे मदद करता है:
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शॉर्ट टर्म और लॉन्ग टर्म गेन की गणना में सहायता करता है
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टैक्स की सही दरों को लागू करने में मदद करता है
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किसी रिबेट या डिडक्शन का क्लेम करने में उपयोगी
4. AIS और फॉर्म 26AS: आपकी पूरी टैक्स हिस्ट्री
AIS (Annual Information Statement) और फॉर्म 26AS क्या है?
इनकम टैक्स विभाग द्वारा जारी ये दोनों दस्तावेज आपकी सभी वित्तीय गतिविधियों का लेखा-जोखा रखते हैं, जैसे:
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बैंक ब्याज
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शेयरों का लेन-देन
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TDS
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रिफंड
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अन्य इनकम स्रोत
क्यों ज़रूरी हैं ये?
इन दोनों डॉक्यूमेंट्स को क्रॉस चेक कर आप जान सकते हैं कि कौन-कौन सी इनकम विभाग के पास दर्ज है। इससे कोई आय छूट न जाए और टैक्स नोटिस से बचा जा सके।
5. विदेशी इनकम और अनलिस्टेड शेयर का विवरण
अगर आपके पास विदेशी बैंक खाता या विदेशी शेयर्स हैं?
भारत में रहते हुए भी अगर आपकी आय विदेश से हुई है या आपने विदेश में निवेश किया है तो इनकी जानकारी देना अनिवार्य है।
जरूरी दस्तावेज़:
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विदेशी बैंक स्टेटमेंट
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विदेशी निवेश का प्रमाण
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अनलिस्टेड कंपनियों के शेयर्स की वैल्यूएशन रिपोर्ट
सावधानी:
इन जानकारियों को छुपाना टैक्स चोरी के अंतर्गत आता है, इसलिए हर डिटेल को सही-सही देना जरूरी है।
6. बैंक स्टेटमेंट और ब्याज सर्टिफिकेट
क्यों जरूरी है बैंक स्टेटमेंट?
आपके खाते में आए ट्रांजैक्शन्स और ब्याज आय की जानकारी बैंक स्टेटमेंट से मिलती है। खासतौर से तब जब आपकी अन्य आय जैसे किराया, फ्रीलांस इनकम, या गिफ्ट इसमें जमा हुआ हो।
ब्याज सर्टिफिकेट क्यों जरूरी है?
अगर आपने किसी बैंक या पोस्ट ऑफिस में फिक्स डिपॉजिट (FD) किया है, तो उस पर मिलने वाला ब्याज टैक्सेबल होता है। ब्याज सर्टिफिकेट से इस आय की सही जानकारी मिलती है।
7. टैक्स डिडक्शन से जुड़े दस्तावेज़ (80C, 80D आदि)
कौन-कौन से डिडक्शन डॉक्यूमेंट जरूरी हैं?
अगर आप पुराने टैक्स सिस्टम को चुनते हैं तो आपको विभिन्न कटौतियों का लाभ मिल सकता है। इसके लिए निम्नलिखित दस्तावेज़ जरूरी होते हैं:
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धारा 80C: पीपीएफ, LIC, NSC, ट्यूशन फीस आदि
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धारा 80D: हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम
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धारा 80G: दान से संबंधित रसीदें
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धारा 80E: एजुकेशन लोन का ब्याज
महत्व:
ये दस्तावेज़ टैक्स में कटौती दिलाकर आपकी टैक्स लायबिलिटी को कम कर सकते हैं।
8. पैन, आधार और बैंक अकाउंट की डिटेल्स
आईटीआर फाइल करने से पहले क्या सुनिश्चित करें?
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आपका पैन और आधार लिंक होना चाहिए
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सभी बैंक खातों की जानकारी, जैसे अकाउंट नंबर और IFSC कोड
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एक सक्रिय बैंक अकाउंट रिफंड प्राप्त करने के लिए
गलत जानकारी देने से क्या हो सकता है?
गलत बैंक डिटेल देने पर रिफंड फंस सकता है या फेल हो सकता है। इसलिए ये डॉक्यूमेंट हमेशा अपडेट और सटीक रखें।
कैसे करें ITR फाइल? (संक्षिप्त स्टेप बाय स्टेप गाइड)
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www.incometax.gov.in पर जाएं
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लॉगिन करें (पैन से रजिस्ट्रेशन हो चुका हो)
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e-File टैब पर क्लिक करें
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Income Tax Return → AY 2024-25 चुनें
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आवश्यक डॉक्यूमेंट अपलोड करें
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डिटेल भरें और टैक्स कैलकुलेशन जांचें
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सबमिट करें और E-Verify करें
निष्कर्ष: खुद से ITR फाइल करना अब आसान है
अगर आपके पास ऊपर बताए गए 8 दस्तावेज़ तैयार हैं, तो आप भी बिना किसी CA की मदद के आसानी से खुद ITR फाइल कर सकते हैं। यह न केवल पैसों की बचत है, बल्कि आपको अपने वित्त को समझने और आत्मनिर्भर बनने का एक बेहतरीन तरीका भी है।
याद रखें:
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डॉक्यूमेंट की सटीकता ही सही टैक्स रिटर्न की कुंजी है।
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किसी भी जानकारी को न छुपाएं, क्योंकि टैक्स विभाग के पास हर लेन-देन की जानकारी होती है।
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समय रहते फाइल करें और पेनल्टी से बचें।
📌 आपके लिए कुछ महत्वपूर्ण टिप्स:
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🔍 AIS और 26AS को जरूर क्रॉस चेक करें
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📆 31 जुलाई से पहले ITR फाइल करना न भूलें
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🔐 E-verification करना ज़रूरी है, वरना रिटर्न अमान्य हो सकता है
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